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शारदीय नवरात्रि 2024: कब से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि ? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि, इस बार 9 नहीं 10 दिन तक रहेगा नवरात्रि का पर्व, पढ़ें पूरी खबर..

September 29, 2024 08:21 PM

Shardiya Navrartri 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. सालभर में कुल 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का महत्व काफी ज्यादा होता है. माना जाता है कि नवरात्रि में माता की पूजा-अर्चना करने से देवी दुर्गा की खास कृपा होती है. मां दुर्गा की सवारी वैसे तो शेर है लेकिन जब वह धरती पर आती हैं तो उनकी सवारी बदल जाती है. इस बार मां दुर्गा डोली पर सवार होकर धरती पर आएंगी. इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होंगे और 12 अक्टबूर को समाप्त होगें. इस बार नवरात्रि में मां दुर्गा की नौ नहीं बल्कि दस दिन तक पूजा की जाएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि तृतीया तिथि दो दिन पड़ रही है और तीसरा नवरात्रि दो दिन तक मनाया जाएगा. बता दें कि नवरात्रि में तिथियों का बढ़ना शुभ होता है. पढ़ें विस्तार से..

शिमला: (HD News);  सनातन धर्म में नवरात्रि को बहुत ही खास माना जाता है. पूरे साल में चार नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि सबसे खास मानी जाती हैं. नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा को समर्पित होते हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है, जिसे नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि का दसवां दिन विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है.

पूरे भारत में शारदीय नवरात्रि बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है. नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नाम की झांकियां भी निकाली जाती हैं. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है जिसे घट स्थापना भी कहा जाता है. इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से लेकर 12 अक्टूबर तक रहेंगे. नवरात्रि के आखिरी 3 दिन बहुत ही खास होते हैं जिसमें दुर्गा सप्तमी, दुर्गा अष्टमी और दुर्गा नवमी हैं.

शारदीय नवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त

इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर, गुरुवार से शुरू हो रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर, मंगलवार की अर्धरात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 4 अक्टूबर को रात 2 बजकर 58 मिनट पर होगा.

कलश स्थापना का मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 3 अक्टूबर को घटस्थापना का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 7 बजकर 22 मिनट तक होगा. घटस्थापना के लिए कुल 1 घंटा 06 मिनट का समय मिलेगा. इसके अलावा, घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त में भी किया जा सकता है. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा, जिसके लिए 47 मिनट का समय मिलेगा.

शारदीय नवरात्रि तिथियां

3 अक्टूबर 2024, गुरुवार मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि

4 अक्टूबर 2024, शुक्रवार मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि

5 अक्टूबर 2024, शनिवार मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि

6 अक्टूबर 2024, रविवार मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि

7 अक्टूबर 2024, सोमवार मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि

8 अक्टूबर 2024, मंगलवार मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि

9 अक्टूबर 2024, बुधवार मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि

10 अक्टूबर 2024, गुरुवार मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी

11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण

12 अक्टूबर 2024, शनिवार मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)

मां दुर्गा की सवारी क्या रहेगी ?

इस बार मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आएंगी. ज्योतिष के अनुसार, मां दुर्गा का डोली पर सवार होना अशुभ संकेत दे रहा है. यह प्राकृतिक आपदा, महामारी और देश में अस्थिरता का संकेत भी है.

शारदीय नवरात्रि पूजन विधि

नवरात्रि के पहले दिन व्रती द्वारा व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन लोग अपने सामर्थ्य अनुसार 2, 3 या पूरे 9 दिन का उपवास रखने का संकल्प लेते हैं. संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है और इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है. हिन्दू धर्म में किसी भी मांगलिक काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है और कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है इसलिए इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है. कलश को गंगाजल से साफ की गई जगह पर रख दें.

इसके बाद देवी-देवताओं का आवाहन करें. कलश में सात तरह के अनाज, कुछ सिक्के और मिट्टी भी रखकर कलश को पांच तरह के पत्तों से सजा लें. इस कलश पर कुल देवी की तस्वीर स्थापित करें. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें इस दौरान अखंड ज्योति अवश्य प्रज्वलित करें. अंत में देवी मां की आरती करें और प्रसाद को सभी लोगों में बाट दें.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी। हिमदर्शन डॉट कॉम इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा।

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