हिमाचल प्रदेश के लिए यह गर्व का क्षण है कि राज्य के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान को झारखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई है। अपने न्यायिक अनुभव, निष्पक्ष दृष्टिकोण और जनहित में लिए गए ऐतिहासिक फैसलों के चलते न्यायमूर्ति चौहान ने न केवल प्रदेश में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। दो बार हिमाचल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रह चुके चौहान की यह नियुक्ति राज्य की न्यायिक गरिमा को नई ऊँचाई देती है।
शिमला: हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान को झारखंड हाईकोर्ट का नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की है। यह प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है, जब शिमला के एक योग्य और अनुभवी न्यायाधीश को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन :
तरलोक सिंह चौहान का जन्म 9 जनवरी 1964 को शिमला जिले के रोहड़ू में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा प्रतिष्ठित बिशप कॉटन स्कूल शिमला में हुई, जहां वे स्कूल कैप्टन भी रहे। इसके बाद उन्होंने डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से ऑनर्स के साथ स्नातक और पंजाब विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

वकालत से न्यायिक सेवा तक :
वर्ष 1989 में वे वकील बने और प्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता लाला छबील दास के चैंबर से अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत की। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में वकालत करते हुए उन्होंने कानूनी जगत के लगभग सभी क्षेत्रों में महारत हासिल की। वे विभिन्न सरकारी व निजी संस्थानों के विधिक सलाहकार भी रहे।
कोर्ट मित्र और जनहित से जुड़ी भूमिका :
हाईकोर्ट द्वारा उन्हें कई अहम मामलों में कोर्ट मित्र नियुक्त किया गया—जिनमें हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, पर्यावरण कानून, तंबाकू व प्लास्टिक प्रतिबंध, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और सड़क निर्माण नीति जैसे विषय शामिल रहे। इसके अतिरिक्त, वे कई लोक अदालतों के सदस्य भी रहे।
न्यायिक पद पर उत्कृष्ठ योगदान :
23 फरवरी 2014 को वे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 30 नवंबर 2014 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। वे दो बार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की भूमिका निभा चुके हैं। जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने बाल कल्याण, अस्पतालों और वृद्धाश्रमों के कल्याण के लिए उल्लेखनीय कार्य किया।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भागीदारी
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित “न्यायपालिका और बदलती दुनिया” पर सम्मेलन में तीन चुने गए उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों में से एक के रूप में भाग लिया। 2019 में वे रोमानिया में "बच्चों के लिए देखभाल और सुरक्षा सेवाओं के सुधार" पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम का भी हिस्सा बने।
तकनीकी उन्नयन और अकादमिक योगदान:
तरलोक चौहान न केवल न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष रहे, बल्कि हाईकोर्ट की ई-कोर्ट और कंप्यूटर कमेटी के प्रमुख भी रहे। उनके नेतृत्व में हाईकोर्ट सहित अधीनस्थ न्यायालयों में तकनीकी उन्नयन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया गया।
बता दें कि तरलोक सिंह चौहान की झारखंड के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्ति केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की न्यायिक और शैक्षिक विरासत की भी एक सशक्त पहचान है। उनकी विद्वत्ता, अनुभव और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता झारखंड न्यायपालिका के लिए नई दिशा तय कर सकती है।