हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत ने प्रदेश की प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब हाईकोर्ट में प्रस्तुत की गई रिपोर्टों में शीर्ष अधिकारियों – अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS), पुलिस महानिदेशक (DGP) और पुलिस अधीक्षक (SP) की भूमिका और बयान पर विरोधाभास सामने आया। कोर्ट की सख्ती, सरकार की कार्रवाई और अधिकारियों के बीच खुला टकराव इस पूरे प्रकरण को प्रदेश की प्रशासनिक इतिहास की बड़ी घटनाओं में शुमार करता है।
शिमला: हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत मामले में सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रशासनिक व पुलिस विभाग के तीन बड़े अधिकारियों – अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) ओंकार शर्मा, पुलिस महानिदेशक (DGP) अतुल वर्मा और पुलिस अधीक्षक (SP) शिमला संजीव गांधी को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में मंगलवार देर शाम सचिवालय में चली करीब तीन घंटे की बैठक में यह फैसला लिया गया। इस बैठक में मुख्य सचिव प्रभोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, एडवोकेट जनरल अनुप रत्न व लॉ सेक्रेटरी भी मौजूद रहे।
सरकार ने DGP अतुल वर्मा की जगह अशोक तिवारी को कार्यवाहक DGP, और SP सोलन गौरव सिंह को कार्यवाहक SP शिमला नियुक्त किया है। वहीं ACS ओंकार शर्मा से सभी विभाग वापस लेकर उन्हें हटा दिया गया है। उनके विभाग अब ACS केके पंत को सौंपे गए हैं।

ACS ओंकार शर्मा से भी नाराज सीएम
सीएम सुक्खू ने नाराजगी जताई कि ACS ओंकार शर्मा ने जांच रिपोर्ट एडवोकेट जनरल ऑफिस की वेटिंग के बिना ही हाईकोर्ट में प्रस्तुत कर दी। हालांकि प्रशासनिक जांच करने के लिए उन्होंने ओंकार शर्मा की सराहना भी की।
हाईकोर्ट की फटकार और CBI जांच का आदेश
हाईकोर्ट में पेश की गई ACS, DGP और SP की तीनों रिपोर्टें आपस में अलग-अलग थीं, जिससे कोर्ट ने नाराजगी जताई और 23 मई को आदेश देते हुए मामले की जांच CBI को सौंप दी।
DGP का एफ़िडेविट बना सवालों का कारण
DGP अतुल वर्मा ने शिमला पुलिस की SIT जांच पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में खुद की ही पुलिस के खिलाफ एफिडेविट दाखिल किया। इस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की और SIT की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए।
SP ने खोला DGP के खिलाफ मोर्चा
हाईकोर्ट के फैसले के अगले ही दिन SP शिमला संजीव गांधी ने DGP के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन पर हाईकोर्ट में गैर-जिम्मेदाराना एफ़िडेविट देने और उनके कार्यालय में चिट्टा तस्करी से जुड़े लोगों के संरक्षण का गंभीर आरोप लगाया।
SP ने न केवल DGP बल्कि मुख्य सचिव प्रभोध सक्सेना पर भी केस प्रभावित करने का आरोप लगाया। उन्होंने पूर्व DGP संजय कुंडू और भाजपा विधायक सुधीर शर्मा को भी विवादों में घसीटते हुए हॉर्स ट्रेडिंग मामले का मास्टरमाइंड करार दिया और कोर्ट के फैसले को डबल बेंच में चुनौती देने की बात तक कह डाली।
विमल नेगी की संदिग्ध मौत ने हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक व पुलिस महकमे में भारी उथल-पुथल मचा दी है। हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणियों और रिपोर्टों में विरोधाभास के चलते राज्य सरकार को मजबूरन तीन शीर्ष अधिकारियों – ACS, DGP और SP – को छुट्टी पर भेजना पड़ा। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब जांच CBI को सौंप दी गई है। इस घटनाक्रम ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि शीर्ष अधिकारियों के बीच आपसी टकराव और अविश्वास को भी उजागर किया है। आने वाले समय में यह केस प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता पर बड़ा असर डाल सकता है।